नाज है
मुख्तसर सी बात है,
मुझे तुम पर नाज है,
अब यही जज़्बात है,
कपकपी से अंदाज़ है,
सुलग रहा सब राज है,
दिख जाए वही आज है ।।
फिक्र का हम है,
बेकल मन है,
स्वार्थ भी सघन है,
गुबार में नयन है
बेहिसाब भ्रम है ।।
मिल जाए तो अमन है,
खिल जाए तो चमन है,
गिर जाए तो सुमन है,
उड़ जाए तो गगन है ।।
"मैं" का नूर था,
महज ये सुरूर था,
बनता गुरूर था,
बिखरता हुजुम था,
सबरता हुजूर था ।
-गौतम झा
SN Choudhary
10 months ago???????? अच्छा है।।
SN Choudhary
10 months ago???????? अच्छा है।।