कैसा होगा जीवन
मैं सोचता हूँ प्रतिपल
कैसा होगा यह जीवन?
सुख और समृद्धि का आंगन होगा,
या दुख और दुविधा का दामन होगा।
बुद्धि और आकांक्षा की हरियाली होगी,
या सिद्धी और अनिच्छा की बदहाली होगी।
मैं सोचता हूँ प्रतिपल
कैसा होगा यह जीवन?
लोभ और लालसा का डगर होगा,
या भोग और विलास का घर होगा।
नीरसता और आलस का प्रांगण होगा,
या विशालता और उल्लास का श्रावण होगा।
मैं सोचता हूँ प्रतिपल
कैसा होगा यह जीवन?
क्रूरता या कर्कशता भरा आचरण होगा,
या नैतिकता और मौलिकता भरा आमंत्रण होगा।
रंजिश और आक्रोश भरा परिदृश्य होगा,
या संदेश और संतोष भरा विहंगम दृश्य होगा।
मैं सोचता हूँ प्रतिपल
कैसा होगा यह जीवन?
संबंध और बंधुत्व में सहयोग का संचार होगा,
या विरोध और विकार भरा आपसी संस्कार होगा।
अर्थ और अर्थात में लिप्त सारा प्रयास होगा।
या व्यर्थ और व्याकुलता भरा संसार होगा।।
मैं सोचता हूँ प्रतिपल
कैसा होगा यह जीवन?
-गौतम झा