गलत-सही

गलत-सही

गलत-सही

अगर सवाल गलत है,
तो जवाब का क्या मतलब है?

किसी का 'होना' गलत है,
किसी का 'ना होना' कैसे बेगैरत है?

किसी को सोचना गलत है,
उसी को सामने से झुठलाने का क्या मतलब है?

अगर घर तोड़ने का फैसला अदालत करती है,
तो घर जोड़ने का क्यों नहीं करती?

अगर सियासत गलत है,
तो उससे उम्मीद का क्या बहस है?

सबको छोड़कर 'किसी एक' का होना सही है,
तो सबके आंखों में 'वो' क्यों फसी है?

ये सही है, वो गलत है,
फिर गलत-सही, और सही-गलत,
इस आवरण का उलझन यही है,
फिर अनावरण का क्या दर्शन है?

-गौतम झा

Newsletter

Enter Name
Enter Email
Server Error!
Thank you for subscription.

Leave a Comment

Other Posts

Categories