किसान

किसान

सुबह गुरूर में था, दोपहर में इसे भरपूर कर दिया,
किसान मजबूर है, सरकार ने मशहूर कर दिया ।

घनक का असर तिहाई में है,
स्वार्थ ने स्वयं का रिहाई कर दिया ।

अकड़ में दरख़्त ने जमीन से रिश्ता तोड़ लिया,
इसी भनक से हवा में सनक बढ़ गया ।

 वक्त बदलता है, सच्ची बात है
किसान किरदार में रहेगा, कहा का इंसाफ है ।

-गौतम झा

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1 Comments

  •  
    Ravi Rathod
    7 months ago

    He jabardast aahe saheb... Me pan १kisan aahe from maharashtra

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