खिचड़ी

खिचड़ी

दो साथ पके एक पात्र में,
स्वाथ्य लाभ के अर्थात में।

सुगम, सुपाच्य तासीर है,
बड़े काम का आसीर है।

नीरसता इसका सम्प्रदाय है
मौलिकता में यह दीर्घाय है।

पाकविधि भी सामान्य है
खिचड़ी नहीं अमान्य है।

दही, घी, अचार, पापड़
ये सब हैं इसके धावक।

सरल मनोहर इसके विचार हैं
ज्यादा ग्रहण में नहीं अविकार है।

घर घर में यही बरकरार है
साधुबाद का इसी में संस्कार है।

-गौतम झा

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