काश ऐसा होता
काश! सपनों के बोल होते
धड़कनों से मेल होते
दुनियां बड़े अनमोल होते।
यदि शब्दों के पंख होते
स्नेह से अनुबंध होते
संसार में एक धर्म होते।
धर्म को अगर ज्ञान होता
परमात्मा का संज्ञान होता
शमशान बस अनुसंधान होता।
अगर सास-बहू में प्यार होता,
चाहे बेटा हजार होता,
वटवारा कभी न एक बार होता।
सूरज अगर सहज होता
सितारों को अवसर मिलता
चाँद चारों ओर होता।
अगर दहेज में दया होता
बेटी वहू हमसाया होता
फिर! मंगल का क्या साया होता?
पत्नी अगर प्रेमिका होती
सुगंधित सारी भूमिकाऐं होती
संतानों में एकता होती।
अर्थ का आहार होता
व्यवस्था का पहाड़ होता
संसार में सौहार्द होता।
गौतम झा