कमाल करो
अगर बेमिसाल हो, तो कमाल भी करो,
रोज़मर्रा के सवाल पर बवाल न करो।
खुशबू हो, तो हवा में घुल जाओ,
इतनी सी बात पर, सियासत को निसार न करो।
सुना है कीचड़ से कमल निकलता है,
इसके लिए हाथ से झाड़ू का जुगाड़ मत कर।
पारस हो, तो इसका सही इस्तेमाल करो,
जमीन पर, इस जादू को नहीं बेकार करो।
जब दे दिया, तो दे दिया,
अब कैसे दिया, इसका नहीं ख्याल करो।
मुखर हो, तो असर करो,
मन की बात का नहीं जहर भरो।
भरोसा है तो तुम बने हो,
अब जज़्बात को नहीं शर्मसार करो।
जो समझा है, उसे रहने दो,
और समझा कर इसमें नहीं दखलअंदाज़ करो।
कामयाब हो तो रक्स करो,
अपने वश को नहीं सर्वस्व करो।
हवाओं में ज़हर है तो पी लो,
शिव बनके ऐसे भी जी लो।
फूल हो तो गमक जाओ,
शूल के स्वभाव से मत सनक जाओ।
गुण है तो गुणगान करो,
चुप होकर गुनाह को न सरेआम करो।
उम्मीद की आखिर किरण हो तुम,
धुंध में लिपट कर निराधार मत करो।
लव का नहीं संघार करो,
जिहाद से जोड़कर इसे नहीं बर्बाद करो।
छोड़ो नसीहत की बातें, थक गए हो शायद,
नींद का आव्हान करो, रात को विश्राम करो।
गौतम झा