हवा पर नाम
कभी अनकहे रिश्तों का कदर करो,
सामने रह के असर करो।
समझ आए ऐसी पहल करो,
इसमे नज़र का भी दखल करो।
दुविधा की दीवार गिरा दो,
सामने आकर मुस्कुरा दो।
महज ये इत्तेफाक मिटा दो
रोज़ रोज़ की बात बना दो।
मिलन को महताब बना दो
इसके नीचे ख्वाब सजा दो।
सुबह से शाम कर दो
दिन को गुमनाम कर दो।
स्वीकार का शर्त बता दो
हवा पर नाम लिखा लो।
-गौतम झा