दीपावली के रंग
मन-भोग लगाता है कोई, पेट किसी का खाली है।
मनती भारत में अब भी कुछ, इसी तरह दीवाली है।।
कहीं हजारों बिजली-लट्टू, दिन में भी जगमग करते।
कहीं रौशनी करने जुगनूँ, रातों में टिमटिम करते।।
दीप किसी का तेल बिना ही, रह जाता क्यों खाली है!
मनती भारत में अब भी कुछ, इसी तरह दीवाली है।।
सजी हुई है महफ़िल देखो, झूमें महल अटारी भी।
सुरा-सुन्दरी दोनों थिरके, नयनन चले कटारी भी।।
रात-रात भर देखो चलते, मुजरा और कव्वाली है।
मनती भारत में अब भी कुछ, इसी तरह दीवाली है।।
पास यहीं कुटिया में सुन लो, क्रन्दन होता है कैसा!
मरणासन बुधिया का बेटा, जिसके पास नहीं पैसा!!
सर को पीट-पीट कर रोती, बुधिया की घरवाली है।
मनती भारत में अब भी कुछ, इसी तरह दीवाली है।।
पाप नशाने मन्दिर जाते, थाल सजा कर मेवा का।
धूप-पुष्प अक्षत ले आते, पुण्य कमाने सेवा का।।
पण्डित जी भिजवा देते हैं, अपने घर वो थाली है।
मनती भारत में अब भी कुछ, इसी तरह दीवाली है।।
अठखेली कहीं करे बुढ़ापा, मस्त रहे रँग-रलियों में।
कहीं तड़पती रहे जवानी, बदनामी की गलियों में।।
एक है इनकी भी दीवाली, उनकी भी दीवाली है।
मनती भारत में अब भी कुछ, इसी तरह दीवाली है।।
विश्वजीत शर्मा 'सागर'
Anita
18 days agoवह वह शुभ दीपावली
Ajay Nath Dave
18 days agoExcellent 👌👌👍👍
सत्य लिखा आपने।
18 days agoनिःसंदेह अंतस छूती रचना।
सत्य लिखा आपने।
18 days agoनिःसंदेह अंतस छूती रचना।
Rajat
18 days agoमनती भारत में अब भी कुछ, इसी तरह दीवाली है वाह वाह बहुत लाजवाब रचना हुई ।
Dilip Kumar Sharma
18 days agoDesh ke halal ka satik chitran. Hriday ko sparsh kar gayi aapki ye ati sundar rachna. 💯🙏🙏
Dilip Kumar Sharma
18 days agoDesh ke halal ka satik chitran. Hriday ko sparsh kar gayi aapki ye ati sundar rachna. 💯🙏🙏
अन्नपूर्णा गुप्ता
18 days agoभावुक और गंभीर रचना
अन्नपूर्णा गुप्ता
18 days agoभावुक और गंभीर रचना
अन्नपूर्णा गुप्ता
18 days agoभावुक और गंभीर रचना
Dhananjay Singh
17 days agoआपकी हर कविता की तरह, मन को छू लेनेवाला।
Reecha Mishra
17 days agoSoo true and painful poem. Ye wo dard hai jo hai toh sabki najron ke samne toh hai,par dikhayi kisi ko nahi deta aur jo dikh bhi jaye toh kisi ko padi nahi hai
Sapna Pandey
17 days agoबेहतरीन रचना 👌👌 शुभ दीपावली 🌹
Sunita Joshi
17 days agoExcellent 👌👌
Sunita Joshi
17 days agoExcellent 👌👌
गीता अग्रवाल
17 days agoबहुत सुंदर कविता यथार्थ का वर्णन
विश्वजीत शर्मा 'सागर'
16 days agoइन सराहनाओं हेतु आप सभी सुधि पाठकों को मेरा सादर नमन और हार्दिक धन्यवाद। स्नेह बनाए रखियेगा।