चुनाव आनेवाला है

चुनाव आनेवाला है

संभावनाएँ जब प्रतीत होने लगे,
तो समझो! चुनाव आनेवाला है।

बातों का जब समर्थन मिलने लगे,
तो समझो! दुर्योधन आनेवाला है।

दुश्मनी में जब आराम आने लगे,
तो समझो! हराम होनेवाला है।

अमीरी को जब गरीबी लुभाने लगे,
तो समझो! दिवालिया होनेवाला है।

गूंगे भी जब गुर्राने लगे,
तो समझो! गोलमाल होनेवाला है।

बेरोज़गार जब अपार होने लगे,
तो समझो! व्यापार होनेवाला है।

जनता जब बवाल करने लगे,
तो समझो! गठबंधन होनेवाला है।

उलझन जब दुल्हन बन जाए
तो समझो! खैरात आनेवाला है।

समस्या जब सरोकर बन जाए,
तो समझो! हाहाकार होनेवाला है।

दल-बदल जब दरकार होने लगे,
तो समझो! सरकार सराबोर होनेवाला है।

मौलिक अधिकार जब खंडित होने लगे,
तो समझो! षडयंत्र होने वाला है।

स्त्री-आस्मिता का विचार होने लगे,
तो समझो! जुगाड़ होने वाला है।

रविवार जब व्यस्त होने लगे,
तो समझो! भ्रष्टाचार होने वाला है।

बिन पिये ही सब त्रस्त होने लगे,
तो समझो! विध्वंस आने वाला है।

सरकार जब आश्वस्त दिखने लगे,
तो समझो! चुनाव का बाज़ार सजने वाला है।

-गौतम झा

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3 Comments

  •  
    Pankaj Kumar
    7 months ago

    चुनाव के सारे tikram आपने कविता के रूप में प्रस्तुत किया,बहुत दिलचस्प लगा। भारत के राजनीति का बहुत सटीक और साधा हुआ चित्रण। काश!आपके कविता के माध्यम से भी समझ ले नेतृत्व करने का मायाजाल फैलाने वाले।आज का विपक्ष जो कल तक सरकार में था,आपकी और हमारी इन अनुभूति के लिए जिम्मेवार है। कहा जाता है, कि जो जैसा बोएगा,वैसा फल पाएगा। आज वही फल पा रहे,और धृष्टता आज भी वही कर रहे है, कि कैसे लूट पाट का पुराना चरित्र कायम रहे।

  •  
    Ravi Rathod
    7 months ago

    Mala awadle साहेब.... Khup chhan

  •  
    Ravi Rathod
    7 months ago

    Mala awadle साहेब.... Khup chhan

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